इस पोस्ट मे बताया गया है कि, कंप्यूटर में वायरस क्या होते है, (computer virus in hindi) कंप्यूटर में वायरस के विभिन्न प्रकार types of computer virus, वायरस बनाने का क्या उद्देश्य होता है, कंप्यूटर वायरस कैसे कार्य करता है और कैसे किसी पीसी को संक्रमित करता है। वायरस किस प्रकार से कंप्यूटर को प्रभावित कर सकते है। Most dangerous Computer Virus Names तथा वायरस फैलने के क्या कारण होते है ।
कंप्यूटर वायरस क्या है।
कंप्यूटर वायरस एक Program या Code है, जिसे विशेष रूप से, एक कंप्यूटर सिस्टम से दूसरे कंप्यूटर में फैलाने और victim की जानकारी के बिना उसके कंप्यूटर में हस्तक्षेप (Interference) करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। “VIRUS” का पूरा नाम Vital Information Resource Under Seize होता है।
कंप्यूटर वायरस बनाने का उद्देश्य कमजोर सिस्टम को संक्रमित (Infected) करना, Admin control हासिल करना और उपयोगकर्ता (User) की संवेदनशील जानकारी (Sensitive Data) चोरी करना है। हैकर्स दुर्भावनापूर्ण इरादे से कंप्यूटर वायरस डिजाइन करते हैं और ऑनलाइन उपयोगकर्ताओं को धोखा देकर उनका शिकार करते हैं।
कंप्यूटर वायरस का इतिहास (History of Computer Virus)
दुनिया के पहले कंप्यूटर वायरस की नाम " creeper system" था , यह 1971 में Bob Thomas द्वारा केवल प्रयोग के लिए बनाया गया था। उसके बाद सन् 1986 में "Brain" नामक वायरस पाया गया जो कंप्यूटर को संक्रमित करना वाला पहला वायरस था जिसे पाकिस्तान के दो भाइयों द्वारा लिखा गया था मूल रूप से इसे एक copy protection के रूप में डिज़ाइन किया गया था।
1975 में computer programmer John Walker ने पहला ट्रोजन बनाया। ट्रोजन एक कंप्यूटर वायरस है जो अपने आप को दोहरा नहीं सकता है, लेकिन इसके बजाय, यह आपके कंप्यूटर डाटा को आपकी जानकारी के बिना संचारित या आदान-प्रदान कर सकता है।
कंप्यूटर वायरस कैसे कार्य करता है।
जैसा कि हम जानते हैं कि कंप्यूटर वायरस भी एक कंप्यूटर प्रोग्राम ही होता है, और इसकी भी अपनी कुछ सीमाएं होती हैं इसलिए वायरस उतना ही कार्य कर सकता है जितने के लिए प्रोग्रामर ने इसे निर्देश दिए हैं, उदाहरण के लिए, माइकल एंजेलो वायरस 6 मार्च को ही डाटा नष्ट करता है क्योंकि उसके प्रोग्रामर ने इस वायरस को इस प्रकार से प्रोग्राम किया है कि, वह सबसे पहले यह निश्चित करें कि आज की दिनांक 6 मार्च है या नहीं और अगर आज 6 मार्च है तो वह डिस्क सेक्टर को दिए गए निर्देश से प्रतिस्थापित (Replaced) करें।
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आप ये तो जानते हैं, कि कोई भी कंप्यूटर प्रोग्राम स्वयं ही एग्जीक्यूट नहीं होता है जब तक कि हम उसे कोई निर्देश ना दें। ठीक उसी प्रकार वायरस प्रोग्राम भी अपने आप Execute नही होता यह या तो यूजर के द्वारा सीधे-सीधे एग्जीक्यूट होता है या यूजर द्वारा कोई अन्य प्रोग्राम एग्जीक्यूट करने पर उसके साथ ही एग्जीक्यूट हो जाता है।
परन्तु अब प्रश्न यह है कि कोई भी यूजर अपने कंप्यूटर पर वायरस एग्जीक्यूट क्यों करेगा? इसके लिए वायरस निर्माता ऐसी तकनीक का प्रयोग करते हैं जिसके द्वारा यूजर को मुर्ख बनाकर वायरस का एग्जीक्यूट किया जा सके। अधिकतर परिस्थितियों में वायरस पहले से मौजूद Executable फाइलों में निवास करते हैं तथा जब यूजर इन फाइलों को एग्जीक्यूट करते हैं तो उसके साथ-साथ वायरस कोड भी क्रियान्वित (Execute) हो जाते हैं एक बार यूजर द्वारा प्रोग्राम एग्जीक्यूट हो जाता है तो यह पूरे कंप्यूटर सिस्टम में फैल जाता है तथा उस प्रोग्राम में उपलब्ध निर्देश अनुसार पूरे सिस्टम को क्षति पहुंचाना प्रारंभ कर देते हैं।
वायरस में अन्य प्रोग्राम से भीन्न अपने को दोगुना करने की क्षमता होती है ,समान्यतः वायरस प्रोग्राम धीरे-धीरे अपने आपको दूसरी Executable फाइलों में कॉपी करना शुरु कर देते हैं और जब उन फाइलों को user द्वारा run किया जाता है तब यह पूरे सिस्टम में फैल जाते हैं ।
एक साधारण वायरस जो अपनी कॉपी बार-बार बना सकता है उसको बनाना आसान होता है, इस तरह का साधारण वायरस भी खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह तेजी से आपके कंप्यूटर की सारी उपलब्ध मेमोरी का इस्तेमाल करेगा और सिस्टर को रोक देगा। इससे भी ज्यादा खतरनाक वायरस वह होगा जो अपने आपको, सुरक्षा प्रणाली को पार करके दूसरे नेटवर्क पर भी ले जाने में समर्थ है।
वायरस निम्नलिखित प्रकार से कंप्यूटर को प्रभावित कर सकता है ।
- कंप्यूटर की गति को कम कर देना ।
- स्क्रीन पर गलत सूचनाएँ प्रदर्शित करना ।
- उपयोगी सूचनाओं को नष्ट कर देना ।
- कीबोर्ड की कीज का कार्य बदलना ।
- डायरेक्टरी में बदलाव करना ।
- फाइलों का एग्जीक्यूशन रोक देना ।
- हार्ड डिस्क को फॉरमेट कर देना ।
- प्रोग्राम तथा अन्य फाइलों का डाटा बदल देना ।
- फाइलों के आकार में बदलाव करना ।
कंप्यूटर में वायरस कैसे फैलता है । How a virus spreads in a computer
किसी भी कंप्यूटर में वायरस फैलने के निम्नलिखित कारण हो सकते है।
- द्वितीयक संग्रह माध्यम से - जब कोई डाटा किसी संक्रमित द्वितीयक संग्रह माध्यम जैसे- external hard drive, pen drive, CD, DVD आदि से कंप्यूटर में कॉपी किया जाता है और अगर कॉपी किए गऐ डाटा के अंदर वायरस है तो वह भी कॉपी हो जाऐगा ।
- इंटरनेट से- आज इंटरनेट को वायरस का मुख्य वाहक माना जाता है क्योंकि जब भी हम कोई डाटा इंटरनेट से डाउनलोड करते हैं तो, उसके साथ वायरस आने की ज्यादा होती है ।
- पाइरेटिड सॉफ्टवेयर से - जब कोई सॉफ्टवेयर गैरकानूनी ढंग से प्राप्त किया गया हो अथवा चोरी किया गया हो तो वह पाइरेटिड (Pirated) सॉफ्टवेयर कहलाता है, और पायरेटेड सॉफ्टवेयर अधिकांश संक्रमित पाया जाता है।
कंप्यूटर में वायरस के विभिन्न प्रकार (Types of Computer Virus in Hindi)
वैसे तो वायरस कई प्रकार को होते लेकिन कुछ मुख्य वायरस के बार नीचे बताया गया है।
- बूट सेक्टर वायरस
- प्रोग्राम वायरस
- मल्टीपरटाईट वायरस
- ब्राउजर हाईजैकर वायरस
- स्टील्थ वायरस
- एन्क्रिप्ट वायरस
- मैक्रो वायरस
- पोलीमोर्फिक वायरस
- डायरेक्टरी वायरस
- नेटवर्क वायरस
- ओवरराईट वायरस
- मेमोरी रेसिडेंट वायरस
- नॉनरेसिडेंट वायरस
- वेब स्क्रिप्टिंग वायरस
- स्पेयर इंफेक्टर
- डायरेक्ट एक्शन वायरस
- एफ.ए.टी. वायरस
- स्पेसफिल्लर वायरस
- फाइल इंफेक्टर वायरस
- एक्टीव एक्स वायरस
20 most dangerous viruses that can harm your computer
(1) बूट सेक्टर वायरस (Boot Sector Virus)- ऐसे वायरस हार्ड डिस्क या फ्लापी डिस्क में बूट रिकॉर्ड या मास्टर बूट रिकॉर्ड को संक्रमित करते हैं बूट रिकॉर्ड प्रोग्राम को डिस्क में कहीं और लिख कर अथवा इसे ओवररॉइट करके यह बूट रिकॉर्ड प्रोग्राम को बदल देते हैं। जो मेमोरी में ऑपरेटिंग सिस्टम को लोड करने के लिए जिम्मेदार होता है। जब कंप्यूटर बूटिंग के दौरान इसको पढ़ने का प्रयास करता है तो बूट वायरस मेमोरी में लोड हो जाता है । उदाहरण- FROM, Disk Killer, Michelangelo और Stoned Virus.
(2) प्रोग्राम वायरस (Program Virus) - यह प्रोग्राम फाइल जैसे .BIN , .COM, .EXE, .OVL, .DRV और .SYS एक्सटेंशन के साथ एग्जीक्यूटेबल प्रोग्राम फाइल को संक्रमित करते हैं यह प्रोग्राम क्रियान्वयन के दौरान मेमोरी में लोड हो जाते हैं और अपने साथ वायरस ले जाते हैं वायरस अपनी कॉपी बनाता हुआ और डिस्क पर फाइलों को संक्रमित करता हुआ मेमोरी में सक्रिय हो जाता है। उदाहरण Sunday , Cascade.
(3) मल्टीपरटाईट वायरस (Multipartite virus) - यह वायरस बूट और प्रोग्राम वायरस का हाइब्रिड है यह प्रोग्राम फाइल को संक्रमित करते हैं और जब संक्रमित प्रोग्राम को क्रियान्वित किया जाता है तो यह वायरस बूट रिकॉर्ड को संक्रमित कर देते हैं जब आप दूसरी बार कंप्यूटर को बूट करते हैं तो बूट रिकॉर्ड से वायरस मेमोरी फाइलों को संक्रमित करना शुरू कर देता है। उदाहरण invader, flip और tequila.
(4) ब्राउजर हाईजैकर वायरस (Browser Hijacker) - इस प्रकार का वायरस आपके वेब ब्राउज़र को संक्रमित करता है, जिसमें यह आपको विभिन्न वेबसाइटों तक पहुंचाएगा। आमतौर पर, यदि आप एड्रेस बार में एक डोमेन नाम लिखकर सर्च करते है, तो ब्राउज़र हैकर की कई फर्जी वेबसाइटें खोलेगा जो आपके कंप्यूटर को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
(5) स्टील्थ वायरस (Stealth Virus) - यह वायरस पहचान से बचने के लिए कुछ तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं। वे या तो जिस सेक्टर में रहते हैं उससे अलग दूसरा सेक्टर पढ़ने के लिए डिस्क हेड को री-डायरेक्ट कर देते हैं या फिर डायरेक्टरी लिस्टिंग में दिखाएं गए संक्रमित फ़ाइल आकार के अध्ययन को ही बदल देते हैं। उदाहरण के लिए व्हेल नामक वायरस किसी संक्रमित फाइल में 9216 बाइट् जोड़ता है फिर वायरस उतने ही बाइट्स डायरेक्टरी में दिए आकार से कम कर देता है। उदाहरण frodo , joshi , whale.
(6) एन्क्रिप्ट वायरस (Encrypted Virus) - इस प्रकार के वायरस Encrypted कोड का उपयोग करते हैं जिस कारण से एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर को इनका पता लगाना कठिन होता हैं। एन्क्रिप्टेड वायरस का पता केवल तभी लगाया जा सकता है जब वे क्रियान्वयन के दौरान खुद को डिक्रिप्ट करते हैं। हालाँकि वे फ़ाइलों या फ़ोल्डरों को नहीं हटाते हैं, लेकिन वे पीसी के प्रदर्शन को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं।
(7) मैक्रो वायरस (Macro Virus) - यह एक नए प्रकार का वायरस है जो किसी डॉक्यूमेंट या टेंपलेट में मैक्रो को संक्रमित करता है। जब आप किसी वर्ड प्रोसेसिंग या स्पेड्स डॉक्यूमेंट को खोलते हैं तो मैक्रो वायरस सक्रिय हो जाता है और नॉर्मल टेंप्लेट (Normal.dot को संक्रमित करता है प्रत्येक डॉक्यूमेंट जो आप खोलते हैं नॉर्मल टेंप्लेट से संपर्क करता है और इस तरह मैक्रो वायरस से संक्रमित हो जाता है क्योंकि यह वायरस स्वयं को डॉक्यूमेंट से जोड़ता रहता है इसलिए यदि इस तरह की डाक्यूमेंट्स दूसरे कंप्यूटर पर खोले जाते हैं तो उन कंप्यूटर मे भी संक्रमण फैल जाता है। उदाहरण DMW, word concept.
(8) पोलीमोर्फिक वायरस (Polymorphic Virus) – यह एक ऐसा वायरस है, जो अपने कोड को अलग-अलग तराके से encrypt कर सकता है, ताकि यह प्रत्येक संक्रमण में अलग-अलग लगे इन वायरस को पहचानना मुश्किल है । उदाहरण - involuntary, stimulate, Cascade, phoenix.
(9) डायरेक्टरी वायरस (Directory Virus) - ये वायरस file path बदल देते हैं। जब आप प्रोग्राम या सॉफ़्टवेयर चलाते हैं और यदि डायरेक्ट्री वायरस से संक्रमित होती हैं, तो वायरस प्रोग्राम background में भी चलता है। इसके अलावा, डायरेक्ट्री वायरस से संक्रमित होने पर मूल सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम का पता लगाना आपके लिए मुश्किल हो सकता है।
(10) नेटवर्क वायरस ( Network Virus) - इस प्रकार का वायरस स्थानीय नेटवर्क क्षेत्र (LAN) और इंटरनेट के माध्यम से फैलता है। ये वायरस shareable drive और folders के माध्यम से खुद को दोहराते हैं। जब नेटवर्क वायरस, कंप्यूटर में प्रवेश करते हैं, तो वे अपने संभावित शिकार की तलाश करना शुरु कर देते हैं। उदाहरण - Nimda, SQLSlammer.
(11) ओवरराईट वायरस (Overwrite Virus) - जैसा कि, नाम से ही पता चलता है यह वायरस मूल सामग्री (original content) को संक्रमित हुए किसी फ़ाइल की सामग्री को Overwrite कर देता है। यह folders, files और यहां तक कि programs को भी संक्रमित करता है।
(12) मेमोरी रेसिडेंट वायरस (Memory Resident Virus) - यह एक ऐसा वायरस है जो कंप्यूटर की मेमोरी में खुद को छुपाता है और संग्रहीत करता है, यह वायरस सबसे खतरनाक वायरस में से एक हो सकता है। क्योंकि ये सिस्टम को पूरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं यहां तक कि ऐसे वायरस खुद को एंटी-वायरस एप्लिकेशन से जोड़ते हैं जो इसे प्रोग्राम द्वारा स्कैन की गई किसी भी फाइल को संक्रमित करने की अनुमति देता है। उदाहरण - CMJ, Meve, MrKlunky और Randex.
(13) नॉनरेसिडेंट वायरस (Nonresident)
Nonresident वायरस मॉड्यूल के माध्यम से खुद को दोहराते हैं। जब Module execute किया जाता है, तो यह संक्रमित करने के लिए automatic एक या अधिक फ़ाइलों का चयन करेते है।
(14) वेब स्क्रिप्टिंग वायरस (Web Scripting Virus) - यह वायरस एक websites link, advertisement, image placement, videos और layout में रहता है। ये दुर्भावनापूर्ण कोड होते हैं, जब आप इनमें क्लिक करते हैं, तो वायरस स्वचालित रूप से डाउनलोड हो जाता है, या आपको दुर्भावनापूर्ण वेबसाइटों पर redirected कर देते है।
(15) स्पेयर इंफेक्टर (Sparse Infector) - ये अपनी पहचान को कम करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। वे ऐसे वायरस हैं जो कभी-कभी ही संक्रमित करते हैं। उदाहरण के लिए, ये वायरस केवल हर दसवें एग्जीक्यूशन को ही संक्रमित करेगें। क्योंकि ये कभी-कभी ही हमला करते है,इसलिए एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर को एसे वायरस का पता लगाने में कठिन समय लगता है।
(16) डायरेक्ट एक्शन वायरस (Direct Action Virus) - डायरेक्ट एक्शन वायरस कुछ खास प्रकार की फाइलों पर हमला करते हैं, जैसे .exe और .com फाइलें। इस वायरस का मुख्य उद्देश्य folders में फ़ाइलों को copy करना और संक्रमित करना है। ये वायरस पीसी के प्रदर्शन और गति को प्रभावित करते हैं। इसे एंटीवायरस प्रोग्राम द्वारा आसानी से हटाया जा सकता है।
(17) एफ.ए.टी. वायरस (FAT Virus) - मूल रूप से, इस प्रकार का वायरस File Allocation System को नष्ट कर देता है, जहां फाइलों के बारे में जानकारी मौजूद होती है।
(18) स्पेसफिल्लर वायरस (Spacefiller Virus) – इस वायरस को "कैविटी" के रूप में भी जाना जाता है, स्पेसफिलर खुद को फ़ाइल से जोड़ते हैं और प्रोग्राम की शुरुआत को बदल सकते हैं या एन्क्रिप्टेड कोड को बदल सकते हैं। ये वायरस चोरी की तकनीकों को भी लागू करते हैं ताकि उपयोगकर्ता फ़ाइल कोड को बढ़ाने का निर्धारण न कर सकें। सबसे लोकप्रिय स्पेसफिलर वायरस Lehigh वायरस है।
(19) फाइल इंफेक्टर वायरस (File Infector Virus) - यह वायरस executable files या Program को भी संक्रमित करता है। जब आप ये प्रोग्राम चलाते हैं, तो वायरस प्रोग्राम भी सक्रिय हो जाता है जो कंप्यूटर को धीमा कर सकता है और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।
(20) एक्टीव एक्स वायरस (Activex Virus) – एक्टिव-एक्स और जावा कंट्रोल्स जल्द ही कंप्यूटर के लिए सबसे बड़े संकट हो जाएंगे क्योकि ज्यादातर लोग विभिन्न फंक्शन जैसे- साउंड या वीडियो प्ले करना आदि को सक्रिय या निष्क्रिय करने के लिए वेब ब्राउज़र को कंट्रोल करना नहीं जानते हैं इसलिए डिफ़ॉल्ट रूप से हम अपने कंप्यूटर में applet को एंटर करने की अनुमति देकर हम सुरक्षा व्यवस्था को संकट में डाल देते हैं जो हमारी privacy के लिए खतरा हो सकता है।
अन्य वाइरस
अन्य खतरों को तकनीकी रूप से "वायरस" नहीं कहा जाता है, लेकिन उनके प्रभाव भी वायरस के समान हानिकारक होते हैं। इसमें worms, adware, malware, Trojan, और ransomware आदि शामिल हैं।
कुछ महत्वपूर्ण और खतारनाक कंप्यूटर वायरस के नाम- Most dangerous Computer Virus Names
- Die-Hard
- I Love B
- Joshi A Virus
- BOZA - 2
किसी भी प्रकार के वायरस को आपके कंप्यूटर को प्रभावित करने से रोकने के लिए, यह जरुरी है कि आप सबसे अच्छा और सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी एंटीवायरस सॉफ़्टवेयर Install करें, जो सभी प्रकार के कंप्यूटर वायरस का पता लगा सके, उन्हें ब्लॉक और समाप्त कर सके।
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