कंप्यूटर मैमोरी क्या है।
कंप्यूटर मेमोरी मानव मस्तिष्क के समान होती है। इसका उपयोग डेटा और निर्देशों को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।कंप्यूटर की मेमोरी कंप्यूटर में स्टोरेज स्पेस होती है, जहाँ डेटा को प्रोसिस और स्टोर किया जाता है। कंप्यूटर इस डेटा को इलेक्ट्रॉनिक रूप में (0 और 1 में ) संग्रहित करके मेमोरी चिप में रखता है।
कंप्यूटर में मेमोरी के प्रकार ।
कंप्यूटर में मेमोरी निम्नलिखित तीन प्रकार की होती है।
- प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)
- द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory )
- कैश मेमोरी (Caches Memory)
(1) प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)
यह कंप्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जहाँ Data, information, और Program, processing के समय store किये जाते है, और जरुरत पड़ने पर इन्हें प्राथमिक मेमोरी से प्राप्त किया जा सकता है। प्राथमिक मेमोरी को मेन मेमोरी या प्राइमरी स्टोरेज भी कहते हैं।
कंप्यूटर की मेमोरी Cell या Location में विभाजित होती है, प्रत्येक cell का अपना एक address होता है जिसके द्वारा उसे refer किया जाता है, यदि कंप्यूटर की मेमोरी 1MB है तो इसका अर्थ है कि यह लगभग 1048576 अक्षरों को संग्रहित कर सकती है। कंप्यूटर की मेन मेमोरी दो प्रकार की होती है ।
- RAM (Random-access memory)
- ROM (Read-only memory)
(i) RAM (Random-access memory)
Random-access memory कंप्यूटर की अस्थाई मेमोरी है, कीबोर्ड या अन्य किसी Input Device से इनपुट किया गया डाटा प्रक्रिया से पहले रैम में ही संग्रहित किया जाता है और सीपीयू द्वारा आवश्यकतानुसार वहाँ से प्राप्त कर लिया जाता है।
इस मेमोरी के अंतर्गत हम डाटा को को संग्रहित करने के साथ-साथ पढ़ भी सकते हैं, रैम में डाटा या प्रोग्राम अस्थाई रूप से संग्रहित होते हैं तथा कंप्यूटर बंद अथवा विद्युत प्रवाह बंद हो जाने पर रैम में संग्रहित (Store) डाटा मिट जाता है इसलिए RAM को वोलेटाइल (Volatile) मेमोरी या अस्थाई मेमोरी भी कहा जाता है। रैम विभिन्न क्षमता या आकार की होती हैं जैसे- 64 MB, 512MB, 1GB, 2GB, 4GB आदि।
पर्सनल कंप्यूटर में मुख्यतः निम्न प्रकार की रैम प्रयोग में लाई जाती है ।
- डायनैमिक रैम (DRAM)
- सिंक्रोनस डीरैम (SDRAM)
- स्टैटिक रैम (SRAM)
(a) डायनैमिक रैम (DRAM)
डायनैमिक रैम मेमोरी की Categories में बहुत ही साधारण मेमोरी है इस मेमोरी को बहुत जल्दी-जल्दी रिफ्रेश करने की आवश्यकता पड़ती है, यह एक सेकेंड पर लगभग हजार बार रिफ्रेश होती है तथा प्रत्येक बार रिफ्रेश होने पर इसमे पहले से स्थित विषय वस्तु को मिटा देती है। डायनैमिक रैम की गति काफी धीमी होती है।
(b) सिंक्रोनस डीरैम (SDRAM)
इसका कार्य भी डायनैमिक रैम की तरह ही होता है, परंतु सिंक्रोनस डीरैम की गति डायनैमिक रैम की तुलना में थोड़ी तेज होती है । इसकी तेज गति के कारण यह सीपीयू की घड़ी की गति के अनुसार चलती है तथा यह डायनैमिक रैम की अपेक्षा डेटा को तेजी से स्थानांतरित करती है।
(c) स्टैटिक रैम (SRAM)
सभी प्रकार के रैम की अपेक्षा में स्टैटिक रैम सबसे अधिक तेज तथा महंगी होती है। स्टैटिक रैम का रिफ्रेश रेट सबसे कम होता है। जिसके कारण यह डाटा को अपेक्षाकृत अधिक समय तक संग्रहित कर सकती है। इसका प्रयोग विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर के लिए किया जाता है ।
(ii) ROM (Read-only memory)
ROM का पूरा नाम Read Only Memory होता है। यह स्थाई मेमोरी होती है। जिसमें कंप्यूटर के निर्माण के समय कुछ प्रोग्राम संग्रहित (Store) कर दिए जाते हैं, इस मेमोरी में संग्रहित प्रोग्राम परिवर्तित और नष्ट नहीं किए जा सकते हैं, उन्हें केवल पढ़ा जा सकता है इसलिए यह मेमोरी रीड ओनली मेमोरी कहलाती है। यह मेमोरी सेमीकंडक्टर पदार्थ से निर्मित IC Chip होती है। ROM को नॉन-वोलेटाइल (Non-Volatile) मेमोरी या स्थाई मेमोरी भी कहते हैं ।
ROM के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं ।
- PROM (Programmable Read Only Memory)
- EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
- EEPROM(Electrical Erasable Programmable Read Only Memory)
(a) PROM (Programmable Read Only Memory)
PROM एक ऐसी मेमोरी चिप होती है, जिसमें आवश्यकता होने पर विशेष उपकरणों द्वारा प्रोग्राम संग्रहित किए जा सकते हैं परंतु एक बार संग्रहित होने के बाद उन्हें मिटाया नहीं जा सकता ।
(b) EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
यह PROM के समान ही होती है, लेकिन EPROM अंदर संग्रहित किए गए प्रोग्राम को एक विशेष प्रक्रिया द्वारा मिटा सकते हैं, और नए प्रोग्राम को संग्रहित किया जा सकता है ।
(c) EEPROM(Electrical Erasable Programmable Read Only Memory)
EEPROM के अंतर्गत अगर हमें कोई प्रोग्राम संग्रहित करना है अथवा मिटाना होता है तो इसके लिए हमें किसी अन्य उपकरण की आवश्यकता नहीं होती, यह कार्य कंप्यूटर में उपस्थित इलेक्ट्रॉनिक्स सिग्नल के द्वारा ही हो जाता है।
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(2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory )
द्वितीयक मेमोरी से यहाँ हमारा अभिप्राय Extra Storage Device से है, क्योंकि डाटा स्टोरेज के लिए हमें extra device की अवश्यकता भी होती है। द्वितीयक मेमोरी सी.पी.यू के बाहर से भौतिक रूपमें लगाई जा सकती हैं। इस प्रकार के storage को Auxiliary Storage System कहते हैं। यह दीर्घकालीन स्थाई संग्रहण माध्यम है। हालांकि रैम भी स्थाई रूप से डेटा संग्रह करता है परंतु उस पर बाद में डाटा जोड़ा नहीं जा सकता ।
कंप्यूटर पर जो कार्य किया जाता है उसे प्रयोक्ता (User) के इच्छा अनुसार एक डिस्क मे सुरक्षित रखा जाता है तथा इस डाटा को प्रयोक्ता अपनी जरुरत के अनुसार ले सकता है, ऐसे संग्रहण को द्वितीयक संग्रहण कहते हैं तथा इस में प्रयुक्त होने वाले डिवाइसेज द्वितीयक संग्रहण उपकरण (Secondary storage device) इस कहलाते हैं।
डाटा संग्रहण के अतिरिक्त द्वितीयक भंडारण उपकरण, डाटा को स्थानांतरित करते के लिए भी उपयोगी होता है, इसकी सहायता से हम डाटा को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर तथा एक स्थान से दूसरे स्थान में स्थानांतरित कर सकते हैं। द्वितीयक संग्रहण प्रणाली का उपयोग डाटा का बैकअप तैयार करने के लिए भी होता है, जो डाटा के सुरक्षा दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। यह प्राइमरी स्टोरेज की अपेक्षा कई गुना डाटा को स्टोर करता है। इसके अंतर्गत Hard disk, Floppy disk आदि आते हैं।
(3) कैश मेमोरी (Cache Memory)
Cache Memory एक विशेष उच्च गति वाली अस्थायी मेमोरी ( temporary memory) होती है। जो आकार में प्राथमिक और द्वितीयक मेमोरी से छोटी, लेकिन गति मे तेज होती है। सीपीयू इसे प्राथमिक मेमोरी की तुलना में अधिक तेज़ी से एक्सेस कर सकता है। कैश मेमोरी का उपयोग मुख्य मेमोरी से डेटा तक पहुंचने के औसत समय को कम करने के लिए किया जाता है। कैश मेमोरी के विषय में और अधिक जानकारी आप, नीचे दी गई लिंक पर जा कर पढं सकते है, इसमे विस्तार से कैश मेमोरी के बारे मे बताया गया है।
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